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नेताजी की मौत का सच क्यों छिपा रहे थे प्रणब?

राष्ट्रपति पद के यूपीए उम्मीदवार प्रणब मुखर्जी पर नेताजी सुभाष चंद्र बोस की मौत का सच छुपाने का आरोप लगाया गया है। पूर्व पत्रकार अनुज धर ने अपनी जल्द ही प्रकाशित होने वाली किताब में प्रणब मुखर्जी पर गंभीर आरोप लगाए हैं।

किताब के मुताबिक आजाद हिंद फौज के संस्‍थापक सुभाष चंद्र बोस की मौत विमान हादसे में नहीं हुई थी। प्रणब मुखर्जी ने अपने विदेश मंत्री कार्यकाल के दौरान अपनी सीमा से बाहर जाकर इस सच को छुपाया। किताब के मुताबिक नेताजी ने आखिरी दिन कैसे गुजारे, इस पर पर्दा डालने में भी प्रणब मुखर्जी शामिल थे।

सरकारी दस्तावेज के मुताबिक सुभाष चंद्र बोस की मौत 1945 में ताइवान में हुए विमान हादसे में हुई थी। अनुज धर की किताब में इस बात को नकारा गया है कि सुभाष चंद्र बोस के मौत विमान हादसे में हुई। यह किताब अम‌ेरिका और ब्रिटेन की गुप्त सूची से हटाए गए रिकॉर्ड और भारतीय प्रशासन के दस्तावेजों पर आधारित है, जिन्हें पिछले 65 सालों से सीक्रेट रखा गया।

किताब में अनुज धर ने प्रणब मुखर्जी पर आरोप लगाया है कि उन्होंने अपने विदेश मंत्री कार्यकाल के दौरान विमान हादसे की थ्योरी को अपनी सीमा से बाहर जाकर समर्थन किया था। हालांकि सबूतों से साफ जाहिर था कि नेताजी की मौत विमान हादसे में नहीं हुई थी।

1996 की एक घटना का हवाला देते हुए धर कहते हैं कि विदेश मंत्रालय के संयुक्त सचिव ने एक सीक्रेट नोट के जरिए सलाह दी थी कि भारत को बोस की मौत से जुड़े सबूत जमा करने के लिए रशियन फेडरेशन को सख्त कदम उठाने संबंधित नोटिस जारी करना चाहिए।

किताब के मुताबिक मुखर्जी ने इस नोट को देखा और विदेश सचिव सलमान हैदर को संयुक्त सचिव से मिलने का आदेश दिया। मीटिंग के बाद संयुक्त सचिव नोटिस के बारे में भूल गए और स्वार्थी हो गए। उन्हें ऐसा लगा कि केजीबी आर्काइव्स को खंगालने से भारत और रूस के संबंध खराब होंगे। ऐसे में मुखर्जी बोस की मौत की ताईवान थ्योरी के सबसे पहले समर्थक बन गए।

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